ना दोपहर की धूप है,
ना रात की चांदनी.
ना घने बादल है,
ना प्यासी माटि .
ना खिलता यौवन है,
ना जाती जवानी.
ना 'उस' की कोई माया है,
ना वृद्ध की कोई वाणी.
ना उजड़ते बाग़ है,
ना खिलती क्यारी.
ना होटों की हंसी है,
ना आँखों का पानी.
ये है एकांत की कहानी,
ये है एकांत की रागिनी.
this is my favourite creation.
please feel free to give your opinion and comments
ना रात की चांदनी.
ना घने बादल है,
ना प्यासी माटि .
ना खिलता यौवन है,
ना जाती जवानी.
ना 'उस' की कोई माया है,
ना वृद्ध की कोई वाणी.
ना उजड़ते बाग़ है,
ना खिलती क्यारी.
ना होटों की हंसी है,
ना आँखों का पानी.
ये है एकांत की कहानी,
ये है एकांत की रागिनी.
this is my favourite creation.
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too sad :(
ReplyDeletesad..!? no aamir bhai... its neither sad nor happy..! it's when one is in absolute peace... i wrote it when i guess i was in 11th.. and at that time i was at peace... posted it to remind myself of that time...
ReplyDeleteIts beautiful man..lovely work!!
ReplyDeletea gr8 composition :)
ReplyDeleteI have translated versions... but still looking for someone to translate the two hindi poems...
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